देश में आधार नंबर को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी में सामने आया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने पिछले कुछ सालों में लगभग 1.15 करोड़ मृत व्यक्तियों के आधार नंबर निष्क्रिय किए हैं। यह कदम आधार के दुरुपयोग और सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए उठाया गया है। हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि यह संख्या देश में हर साल होने वाली मौतों की तुलना में बेहद कम है।
कितने आधार हुए निष्क्रिय?
UIDAI ने बताया कि 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मृत्यु पंजीकरण (Civil Registration System) के माध्यम से करीब 1.55 करोड़ मृत्यु रिकॉर्ड मिले थे। इनमें से 1.17 करोड़ आधार नंबरों को सक्रिय से निष्क्रिय कर दिया गया। वहीं, गैर-CRS राज्यों से लगभग 6.7 लाख रिकॉर्ड मिले हैं, जिन पर अभी प्रक्रिया चल रही है।
इस तरह कुल मिलाकर अब तक 1.15 से 1.17 करोड़ आधार कार्ड निष्क्रिय किए जा चुके हैं।
समस्या इतनी बड़ी क्यों है?
भारत में हर साल औसतन 80 से 85 लाख लोगों की मृत्यु होती है। अगर 14 सालों (2009 से 2023) का हिसाब लगाया जाए, तो यह संख्या लगभग 11 करोड़ से अधिक मौतों तक पहुँचती है। इसके मुकाबले UIDAI द्वारा निष्क्रिय किए गए आधार नंबर महज 1.15 करोड़ ही हैं।
इसका मतलब साफ है कि बड़ी संख्या में मृत व्यक्तियों के आधार कार्ड अभी भी सक्रिय हैं। यही वजह है कि योजनाओं और सब्सिडी में फर्जीवाड़े का खतरा लगातार बना रहता है।
UIDAI कैसे करता है आधार निष्क्रिय?
UIDAI के अनुसार, मृत व्यक्तियों के आधार निष्क्रिय करने की प्रक्रिया राज्य सरकारों और नागरिक रजिस्ट्रेशन विभागों से मिली जानकारी पर आधारित होती है। जब किसी व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होता है और उसका रिकॉर्ड CRS डेटाबेस में आता है, तभी UIDAI उस आधार को मिलान कर निष्क्रिय करता है।
मिलान की शर्तें
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नाम में कम से कम 90% समानता होनी चाहिए।
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लिंग (Gender) का 100% मिलान अनिवार्य है।
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अन्य डिटेल्स (जन्म तिथि, पिता का नाम आदि) भी आधार से मेल खानी चाहिए।
अगर रिकॉर्ड में गड़बड़ी होती है या नाम-जन्म तिथि मेल नहीं खाते, तो आधार निष्क्रिय करना मुश्किल हो जाता है।
क्यों होती है देरी?
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मृत्यु पंजीकरण की कमी – भारत में अब भी बड़ी संख्या में मौतों का आधिकारिक पंजीकरण नहीं होता।
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राज्यों से डेटा शेयरिंग धीमी – कई राज्य UIDAI को समय पर डेटा नहीं भेजते।
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परिवार की जानकारी जरूरी – UIDAI ने नागरिकों के लिए “Report Death of a Family Member” सुविधा शुरू की है, लेकिन बहुत कम लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
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तकनीकी चुनौतियाँ – नाम और अन्य डिटेल्स में असमानता होने पर सिस्टम ऑटोमैटिक रूप से निष्क्रियता नहीं कर पाता।
सक्रिय मृत आधार का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि मृत व्यक्तियों के आधार कार्ड सक्रिय रहने से कई खतरे पैदा होते हैं:
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सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी – पेंशन, राशन कार्ड, स्कॉलरशिप या सब्सिडी जैसी योजनाओं में फर्जी लाभ लिया जा सकता है।
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पहचान की चोरी – मृतक के आधार का इस्तेमाल बैंक खाते खोलने या मोबाइल सिम लेने में हो सकता है।
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डेटा की सच्चाई पर असर – सरकारी डेटाबेस में सक्रिय मृत आधार होने से जनसंख्या संबंधी आँकड़े गड़बड़ा सकते हैं।
UIDAI ने उठाए नए कदम
UIDAI ने हाल ही में कुछ नए उपाय शुरू किए हैं:
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MyAadhaar पोर्टल पर नई सुविधा – नागरिक अब परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु की सूचना सीधे ऑनलाइन दे सकते हैं।
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राज्यों से सीधा समन्वय – UIDAI ने CRS डेटाबेस से सीधी लिंकिंग की प्रक्रिया तेज की है।
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ऑटो-मैचिंग सिस्टम – अब रिकॉर्ड का स्वतः मिलान कर आधार को निष्क्रिय किया जाता है, ताकि मैन्युअल देरी न हो।
नागरिक क्या कर सकते हैं?
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अगर परिवार के किसी सदस्य का निधन हो गया है, तो उनके आधार को MyAadhaar पोर्टल पर जाकर रिपोर्ट करें।
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UIDAI की हेल्पलाइन 1947 या ई-मेल से भी यह सूचना दी जा सकती है।
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आधार की स्थिति (Active या Inactive) UIDAI वेबसाइट पर जाकर जांची जा सकती है।
विशेषज्ञों की राय
डाटा विशेषज्ञों का कहना है कि UIDAI की पहल अच्छी है, लेकिन अभी भी यह आधी-अधूरी है। जब तक सभी राज्यों में मृत्यु पंजीकरण 100% अनिवार्य नहीं होगा और डेटा UIDAI को रियल-टाइम में नहीं मिलेगा, तब तक मृत आधार पूरी तरह निष्क्रिय करना संभव नहीं है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रक्रिया को मजबूत बनाने से न केवल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी, बल्कि पहचान सुरक्षा (Identity Security) भी बेहतर होगी।